Pushpender yadav

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यह 11 अगस्त है और मैं सोच रहा था कि इंसान कितना काम कर सकता है?

वर्तमान में हम एक ऐसे काम के दौर में जी रहे हैं, जहाँ हर कोई बहुत ज़्यादा काम कर रहा है, और किसी को सच में नहीं पता कि यह काम कब ख़त्म होगा।